चित्रापुर मठ

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चित्रापुर मठ चित्रापुर सारस्वत संप्रदायालॆं केंद्रमठ आसा. १७५७थांवुनु हॆं मठ बड्गि कॅनरालॆं शिरालि (श्रीवल्लि) गांवांत आसा. संप्रदायालीं अन्य मठ गोकर्ण, कॊडियाळ, मल्लापुर (कर्नाटक) आनि कार्ला (महाराष्ट्र) हांगा आसात.

संप्रदायालीं आराध्य दैवत, भगवान् शंकरालीं एक रूप, श्री भवानीशंकर आस्सति। अन्य ६-७ गर्भगृह फुळ्ळेलॆं स्वामियांगॆल्यॊ समाधियॊ आस्सति। भगवान् भवानीशंकरालॆं आनि स्वामियांगॆलॆं नित्य पूजा (हिंदु धर्म) ज़ात्ता।

पुण्यश्लोक श्रीमंत सद्योजात शंकराश्रम गुरुस्वामि, मठालीं वर्तमान मठाधीपति, १९९७आंतुं पीठारि आसीन ज़ाल्लीं। १७०८आंतुं शूरु ज़ाल्लॆलॆं गुरुपरंपरालीं श्रीमंत सद्योजात शंकराश्रम इकरवीं गुरु आस्सति।

इतिहास[बदल]

अशें म्हण्टात कि मठालीं प्रथम आधिपति स्वामि परिज्ञानाश्रम १., शंकरालीं अवतार, बड्गि भारताथांवुनु, बहुशः वाराणसिथांवुनु आयलीं। हांगॆलॆं विषयारि मस्त गॊत्तु ना, इत्तॆक म्हळ्ळॆरि मठांतुं १७२२ उपरांतचि दफतरकाम शुरु ज़ाल्लॆं।

श्रीमंत स्वामि शंकराश्रम १ हरितॆ कुट्मालीं आश्शिलीं। १७२० (शर्वरि चैत्र शुद्ध १५)आंतुं तांका स्वामि परिज्ञानाश्रम १ हांनि दीक्षा दिल्लॆं। स्वामि शंकराश्रम मस्त शिक्किलीं आनि संस्कृत विद्वान् आश्शिलीं. तांका तांगॆलॆ गुरुलॆं सान्निध्यांतुं शिकचॆं सौभाग्य प्राप्त ज़ाल्लॆं। चित्रापुर सारस्वत संप्रदायानॆं तांचॆरि निम्मॆक(trust) दवरचॆं आनि तांनि सांगिलॆंवारि धार्मिक अनुष्ठानांगॆलॆं पालन करचॆं अंगवण घॆतलॆं। १७५७ (आनंद फाल्गुन शुद्ध ५)आंतुं हांनि समाधि घॆतलॆं।

हॆ वॆळारि तांगॆलॆ समाधि खंय असका हॆ विषयारि प्रश्न पडलॆं। ताव्वळि नागरकट्टि कुट्मानॆं चित्रापुर, शिरालि हांगा अश्शिलॆं तांगॆलॆं घर समाधि आनि दॆवस्थानाखात्तिरि अर्पण कॆल्लॆं।

श्रीमंत स्वामि शंकराश्रम १ हांनि कॊणाकय शिष्य करनिऽशिलॆंनिमित्ति संप्रदायाक चिंते विषय ज़ाल्लॆं। पंडित कुट्माथांवुनु यॆकळॆ संतमय मनुशाक म्हालगडांनि निवेदन कॆल्लॆं। हांका श्रीमंत स्वामि परिज्ञानाश्रम २. म्हुणु दीक्षा मॆळ्ळॆ। स्वामि परिज्ञानाश्रम २ हांगॆलॆं मस्त वैरागि वृत्ति अश्शलॆनिमित्ति तांका असीम शक्ति आनि अधिकार दित्तलॆं पीठ नाकाऽशिलॆं। म्हुणु तांनि शुक्ल कुट्माथांवुनु यॆकळाक स्वामि शंकराश्रम २. म्हुणु दीक्षा दिल्लॆं आनि ताज्जॆं फुडा तीं कोळुरु (कर्नाटक) हांगा ध्यान करुक वच़्च़ुलीं। तरि स्वामि परिज्ञानाश्रम २ शिरालि यॆत्तऽसतलिंतीं.

स्वामि शंकराश्रम २. हांगॆलॆं समाधि मल्लापुर (कर्नाटक) हांगा आसा. तीं होड विद्वान् आनि योगि आश्शिलीं। जन तांका भगवान दत्तात्रेय हांगॆलॆं अवतारु म्हणतलींति।

तांनि तलगॆरि कुट्माथांवुनु स्वामि केशवाश्रम हांका दीक्षा दिल्लॆं. स्वामि केशवाश्रम मस्त लायक शासक अश्शिलीं। तांनि मठाखात्तिरि ज़मीन आनि अन्यांतुं निवेश कॆल्लॆं. तांनि शुक्ल कुट्मालॆं यॆकळॆ तरणाक दीक्षा दिल्लॆं। हीं श्रीमंत स्वामि वामनाश्रम अश्शिलीं.

शांत आनी वैरागि प्रवृत्तिनिमित्ति स्वामी वामनाश्रमांनॆ मॊक्तॆसर भट्टांचॆरि सॊळ्ळॆं। तांणी कॊडियाळ हांगा महासमाधि घॆतलॆं। तांनि नगरकर कुट्माथांवुनु शिष्य कॆल्लॊ। हीं अश्शिलीं स्वामि कृष्णाश्रम

श्रीमंत स्वामि कृष्णाश्रम हांगॆलॆ कालखंडांतुं मठालॆं काम चिकॆं रीतिसर ज़ाल्लॆं। वैष्णव परंपरा पाळतलॆं स्मार्त सारस्वतांक तांनि वापस स्मार्त संप्रदायांतुं हाळ्ळॆं। रथोत्सव तांनिचि शुरु करंयलॆं। तीं संस्कृत विद्वान् अश्शिलीं। तांनि नगरकर कुट्माथांवुनु स्वामि पांडुरंगाश्रम हांका शिष्य म्हुणु स्वीकार कॆल्लॆं।

स्वामि पांडुरंगाश्रम हांनि प्राय १२रि संन्यास घॆंवुनु गुरुस्वामियांगॆलॆं शरणांतुं पांच़ वरस शिक्षण घॆतलॆं। तीं मस्त वेळु पीठारि आसीन अश्शिलीं. तांगॆलॆं कालखंडांतुं मठालॆं जीर्णोद्धार ज़ावुनु आदलॆ स्वामियांगॆलॆ समाधियांक अलंकारालॆं काम ज़ाल्लॆं। तांनि गांवांतुं शालॆ, टपाल आनि अन्य मूलभूत सुविधा शूरु करंयलॆं। तांनि १९१५आंतुं समाधि घॆतलॆं.

स्वामि पांडुरंगाश्रम हांनि समाधि घॆंवचॆं ८ दीस फुडाचि हरितॆ कुट्मालॆं स्वामि आनंदाश्रम हांगॆलॆ शिष्यस्वीकार ज़ाल्लॆं। मस्त तरणॆ प्रायारि संन्यास घॆत्तिलॆनिमित्ति तांका गुरुस्वामियांगॆलॆं वैयक्तिक मार्गदर्शन मॆळनि. तरि तांनि सकड दीकांथांवुनु ज्ञान मॆळंयलॆं। तांनि मठांलॆं आर्थिक स्थैर्याखात्तिरि वंतिगॆ अनिवार्य कॆल्लॆं। तांनि १९६६आंतुं बॆंगळूरांतुं समाधि घॆतलॆं.

१९५० उपरांत[बदल]

वापस शुक्लाकर कुट्माथांवुनुचि स्वामि पांडुरंगाश्रम हांनि शिष्यस्वीकार कॆल्लॆं। हीं अश्शलिलीं श्रीमंत स्वामि परिज्ञानाश्रम ३.। तांनि फुळ्ळेक दुड्डु नात्तिलॆनिमित्ति बंद ज़ाल्लॆलॆं रथोत्सव वापस शूरु करंयलॆं। स्वामियांनि वस्तुसंग्रहालय शूरु करंयलॆं. महाराष्ट्रांतुं बोळिंज़, विरार हांगा विकलांगांखात्तिरि तांनि शालॆ शूरु करंयलॆं.

श्रीमंत स्वामि परिज्ञानाश्रम ३. हांनि १९९१आंतुं बॆंगळूरांतुं समाधि घॆतलॆं। तांगॆलॆं समाधि कार्ला, महाराष्ट्र हांगा आस्स। अन्य समाधियांम्हणकॆं हांगाय दुर्गा आनि गणेश विग्रह आस्सति.

श्रीमंत सद्योजात शंकराश्रम स्वामि[बदल]

आदलॆं स्वामियांनि शिष्य स्वीकार करनि। गुरुपरंपरालॆं शाश्वति खात्तिरि कॆलवु ज्ञातिकारांनि सांगलॆं कि यॆकळॆ सारस्वतानॆं मौंट आबु हांगा संन्यास घॆतलां। हींचि मागिरि श्रीमंत सद्योजात शंकराश्रम स्वामि, श्री चित्रापुर सारस्वत संप्रदायालीं इकरवीं मठाधिपति ज़ाल्लीं.

श्री चित्रापुर सारस्वत गुरुपरंपरा[बदल]

  • श्रीमंत परिज्ञानाश्रम १. स्वामिजि (१७०८–१७२०)
  • श्रीमंत शंकराश्रम १. स्वामिजि (१७२०–१७५७)
  • श्रीमंत परिज्ञानाश्रम २. स्वामिजि (१७५७–१७७०)
  • श्रीमंत शंकराश्रम २. स्वामिजि (१७७०–१७८५)
  • श्रीमंत केशवाश्रम स्वामिजि (१७८५–१८२३)
  • श्रीमंत वामनाश्रम स्वामिजि (१८२३–१८३९)
  • श्रीमंत कृष्णाश्रम स्वामिजि (१८३९–१८६३)
  • श्रीमंत पांडुरंगाश्रम स्वामिजि (१८६३–१९१५)
  • श्रीमंत आनंदाश्रम स्वामिजि (१९१५–१९६६)
  • श्रीमंत परिज्ञानाश्रम ३. स्वामिजि (१९६६–१९९१)
  • श्रीमंत सद्योजात शंकराश्रम स्वामिजि (१९९७-विद्यमान)

संदर्भ[बदल]

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